[Update included on 22nd Sept., & 25th Sept., 2022:
V. Shruti Devi (Shruti Devi Vyricherla)
Advocate, Supreme Court of India since 1997;
Member, INC, since 1998;
National-level pro bono advisor to UPA 1 & 2 govts.
Grassroots activist and campaigner
Special Invitee, AICC 2010;
PCC Delegate 2017/18;
AICC Member, 2018
INC Lok Sabha Contestant from Araku (Lok Sabha, 2019);
Vice President, Andhra Pradesh Congress Committee 2020-'21
Set up a branch office of private law chamber (for occasional appearances in the Supreme Court) in the NCR, Gurugram, 2020
PCC Delegate from Andhra, September, 2022
Member, SCBA since 2015, and has currently applied (2022), for the conferment of Senior Advocate designation via the Supreme Court, to continue to work as an independent advocate]
३० दिसंबर १९७२ को जन्मी वी. श्रुति देवी भारतीय नागरिक, वकील तथा राजनैतिक कार्यकर्ता हैं।
वे सर्वोच्च न्यायालय अधिवक्ता, लेखक-कवी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की सदस्य १९९८ से, और आंध्र प्रदेश कांग्रेस समिति की इलेक्टेड मेंबर २०१७ से हैं।
[२०२० अपडेट:
श्रुति देवी जी २०१९ में कांग्रेस पार्टी की लोक सभा उम्मीदवार आंध्र प्रदेश की अरकू नियोजक वर्ग से थी.
उन्होंने दृढ संकल्प और साहस के साथ पार्टी की लढाई लढी, चाहे उन्हे अपने पिताजी के खिलाफ भी उम्मीदवार बनना पड़ा, क्योंकि किशोरजी तेलुगु देसम पार्टी लास्ट मिनट में ज्वाइन कर लिये.
इस वक्त पार्टी के अनुरोध पे श्रुतिजी एक स्टेट वाईस प्रेजिडेंट हैं.
वी श्रुति देवी की लेटेस्ट किताब, अड़ ालटीऑरा नीतिमूर, २०२० लोखड़ौन के पहले पब्लिश हुआ था, अमेरिका में पब्लिक लाइब्रेरी एसोसिएशन के एनुअल इवेंट में प्रदर्शित हुआ था, और अगस्त २०२० में बीजिंग इंटरनेशनल बुक फेयर, चीन, में शामिल होगा]
[Update inserted on 12th July, 2020: The Beijing International Book Fair stands cancelled. The book is now scheduled to be at the Frankfurt International Book Fair in October, 2020].
सुशासन (अर्थात पारदर्शिता, कार्यसाधकता, अर्थपूर्ण सलाह देना, भ्रष्टाचार और कुप्रथाओं को दूऱ करना, एकाधिक संस्थाओं को पुनर्निर्माण करना, बराबरी के सिद्धांत के लिए काम करना - विशेषतः लौकिक इन्साफ की तरफ - शासन की सभी प्रक्रियाओं में उसका क्रियान्वयन) के जरिए विश्व शान्ति तथा न्याय, बराबरी और स्वतंत्रता तथा समाज के, जिसकी भारतीय संविधान में कल्पना की गयी है, लक्ष्यों की तरफ काम करना उनकी मुख्य कोशिश और प्राथमिकता है।
वह वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण तथा स्थाई विकास के सन्दर्भ में सामूहिक, किन्तु व्यक्तिगत (तथा राष्ट्रीय)
जिम्मेदारियों को आदर्श का समर्थन करती है।
श्रुति पारिवारिक पृष्ठभूमि के अनुसार एक सांस्कृतिक शख्सियत है, जहाँ उनके परिवार के सदस्य ऐसे आदिवासी मुखिया रहे जिन्होने सतत रूप से रूप से लोगों के लिए जनवादी आदर्शों (तृणमूल स्तर समेत) को प्राप्त करने तथा उन्हें बनाए रखने लिए काम किया।
औपचारिक रूप से भारतीय कांग्रेस पार्टी से दिसंबर १९९८ में जुड़ीं। उससे पहले वह अविभाजित कांग्रेस पार्टी की समर्थक रहीं तथा उसके बाद कांग्रेस (सोशलिस्ट) पार्टी की वॉलन्टीयर रहीं।
उनकी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की सदस्यता १३ मई २०१७ पे अपडेट है, और वह इस वक्त आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की इलेक्टेड सदस्य हैं।
श्रुति ने दो दशक से ज़्यादा समय तक कठिन परिश्रम कर राजनीति में ऐसा ब्रांड बनाने की कोशिश की है, जिस्में एक उत्प्रेरक के रूप में उन्होंने समाज के अत्यंत ग़रीब तथा कम्ज़ोर तब्के के लिए काम किया। उसके साथ-साथ श्रुति ने भारतीय शासन के वैश्विक संदर्भों महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिस्में राष्ट्रीय स्तर के कानूनों के आलावा अंतरराष्ट्रीय संधियां तथा सम्मेलन शामिल रहा।
सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता के तौर पर श्रुति को १९९८ में सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल लॉ, नई दिल्ली, द्वारा अमेरिका में हो रहे एक ब्रीफ इंडिया विज़िटिंग एनवायर्नमेंटल लॉ फेल्लो प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया। यह कार्यक्रम सर्वोच्च न्यायालय के भारत के एडिशिनल सॉलिसिटर जनरल की अनुमति के साथ किया गया था।
श्रुति ने सितम्बर १९९७ से सितम्बर १९९८ तक वी.आर. रेड्डी, सीनियर एड्वोकेट के चैम्बर में जूनियर लॉयर के रूप में काम किया था। १९९९ की शुरूआत में प्रमुख अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट ए. ओ. आर. इंदू मल्होत्रा के चैम्बर के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के मुक़दमों में श्रुति पेश हुईं।
मई १९९९ एक स्वतंत्र अधिवक्ता के तौर पर श्रुति ने आदिवासी जनजातियों, दलित और अनुसूचित जाति, धार्मिक अल्पसंख्यकों, महिलाओं और बच्चों, विकलांगों से सम्बंधित क्षेत्र और समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों को मुद्दों पर कानून तथा नीति-निर्माण के क्षेत्रों में फोकस करना शुरू किया।
यह कार्य अक्सर राजनैतिक पार्टियों, नागरिक समुदाय समूहों, सामाजिक संगठनों, सांस्कृतिक समूहों वैज्ञानिकों, अकादमिकों, विशेषज्ञों, थिंक टैंक, सरकार के प्रतिनिधि, समुदाय आधारित संगठनों तथा अन्य के साथ अनौपचारिक तथा स्वैच्छिक समन्वय या पैरवी के जरिए हुआ है।
उनका राजनैतिक कान कुछ दशकों का है, जिस्में राजनैतिक अभियान, गठबंधन, सचेतनता, राजनैतिक रणनीति के लिए इनपुट और इनिशिएटिव, अनुसंधान, डेली घटनाओं तथा विवादों से सम्बंधित राय तथा सलाह, सांस्कृतिक गतिविधियां, पार्टी के लोगों तथा अन्य सामाजिक संगठनों और शिष्ट मंडलों की शिकायतों का निवारण, विभिन्न शैक्षणिक तथा संस्थानों पर गेस्ट लेक्चर देना शामिल है।
गांव से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक की यह गतिविधियां हमेशा स्वैच्छिक स्तर पर रहीं और सालों तक अत्यंत प्रभावकारी रहीं।
उनके कुछ उनके कुछ प्रमुख इनपुट और इनिशिएटिव निम्नलिखित श्रेणी के कार्यों में रहे हैं:
- सदी के मोड़ पर उन्होंने भारतोय कांग्रेस पार्टी के पुनर्निर्माण में भूमिका निभाई (केंद्रीय औपचारिक रणनीतिक स्तर पर कागज़ी कार्यवाई, देश क्षेत्रों में महत्वपूर्ण नेटवर्किंग गतिविधियों में;
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जारी ईंटरनेशनल कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी की राष्ट्र स्तरीय तकनीक तथा नीति कोर समूह (टीपीसीजी) जैवविविधता क्षेत्र में विशेषज्ञ परामर्ष;
-पार्टी के असंख्य कानूनी तथा नीतिगत सलाहें देना तथा दो दशकों से भी ज़्यादा समय तक उससे जुड़ी सक्रियता। इन दशकों में प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के यूपीए सरकार के दस साल का कार्यकाल भी शामिल है।
- लौकिक समानता के नज़रिये से क्रास-कटिंग क्षेत्रों पर सक्रियता तथा सलाह;
-जहाँ ज़रूरी हो, फॉलो-अप समेत, उभरती परिस्थितियों और विवाद की घटनाओं पर रोजमर्रा का विश्लेषण और उच्चित उत्तर;
- आदिवासी अधिकार, स्थानीय स्वशासन तथा वनाधिकार अधिनियम सूत्रीकरण के सम्बन्ध में अनोखी तथा सर्वोत्तम राजनीतिक तथा कानूनी सलाह;
- संसदीय बहसों तथा मीडिया विश्लेषण के दैनिक ट्रैकिंग, विश्लेषण और फॉलो-अप एक्शन;
- सोशल मीडिया से सम्बंधित कार्य;
- विभिन्न मंचों उपयोग करते हुए दृढ फील्ड स्तरीय आउटरीच तथा नेटवर्किंग;
- राज्य सरकारों और उन्की नीतियों के गठन में जहाँ ज़रुरत हो, वहां रणनीति बनाना और समन्वय करना,
खासकर कांग्रेस नेतृत्व वाले राज्यों में। उदाहरण के तौर पर ऐसे मामलों में जैसे कि कांग्रेस पार्टी के समर्थन के साथ प्रारम्भिक ४९-दिवसीय सरकार के महत्त्वपूर्ण गठन के लिए आम आदमी पार्टी की शर्तों का जवाब देना, जिससे कि दिल्ली के लिए एक धर्मनिर्पेक्श सरकार सुनिश्चित की जा सके।
श्रुति के अपने में लिए गए निर्णय में परोपकारिता तथा निर्भीकता लिए प्रमुख स्थान रखते हैं। कई मोर्चों पर किए गए उन्के बलिदान बड़े पैमाने पर समाज, मीडिया या किसी की नज़रों में नहीं आए।
उनका काम हमेशा समयबद्ध तथा प्रभावकारी हस्तक्षेप के रूप में हुआ है, फिर चाहे उन्के किए प्रयासों के प्रोत्साहन में किसी भी तरह की कोई औपचारिक सांगठनिक प्रतिक्रिया आई हो या नहीं। हालांकि उन्के प्रयासों को पार्टी ने हमेशा सकारात्मक तौर पर लिया है।
२०१० में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सक्रिय सदस्य के औपचारिक पद पर पहुंची।
उसी साल श्रुति ने नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हो रहे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में भाग लिया।
२०१४ में यूपीए सरकार की हार के तुरंत बाद उन्होंने अपने पैतृक घर, जोकि दक्षिण भारत के राज्य आंध्रा प्रदेश के एक ग्रामीण इलाके में, कुरूपम में 'द फोर्ट ' में है, अपना दफ्तर शिफ्ट किया।
आज की तारिख में श्रुति के पोर्टफोलियो में बीस साल का कानूनी अनुभव, और उच्चत्तम न्यायलय के बार एसोसिएशन की सदस्यता है।
श्रुति अक्सर दिल्ली तथा भारत में अन्य स्थानों पर राजनैतिक और कानूनी काम के लिए अपने राज्य से बाहर यात्रा करती है और साथ में सोशल मीडिया (यानि कि इंटरनेट मीडिया) पर भी सक्रिय है।
श्रुति का अपना परिवार तथा विस्तारित परिवार, राजनैतिक रूप से बहुत सक्रिय हैं, और उन्के नानाजी और दादाजी दोनों ही क्रमशः सांसद तथा विधायक थे।
भारत की स्वतंत्रता के पूर्व उन्की माँ की तरफ के पूर्वज दासपल्ला, जोकि अब ओडिशा में है, के राजा थे। हालांकि वह राज करने वाले उन चंद परिवारों में से थे, जो स्वतंत्रता के समय कांग्रेस पार्टी से जुड़े।
श्रुति के दादा, जमींदार - राजा वी, दुर्गाप्रसाद देव मद्रास प्रांत के राज्य विधान सभा के सदस्य थे, जो उस काल का उन क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए एक प्रासंगिक निकास था - यह क्षेत्र अब उत्तरी आंध्रा प्रदेश है। उन्की मृत्यु उसी समय हुई, जब उन्हें राज्य मंत्री पद की शपत लेनी थी।
कुरूपम के ज़मींदार आदिवासी मुखिया थे, और श्रुति की राजनीति में आदिवासी समुदायों के स्थाई विकास के परिसीमा में समानता के लिए संघर्ष प्रतिलिक्षित होता है, खासकर महिलाओं के लिए।
श्रुति के पिता, वी किशोर चंद्र सूर्यनारायणा देव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में जनरल सेक्रेटरी और सी डब्लू की (कांग्रेस वर्किंग कमेटी) मेंबर रहे हैं, तथा कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली यू पी ए - २ सरकार में दो पोर्टफोलियो के साथ केंद्रीय कैबिनेट मंत्री थे।
श्रुति ने १९९० से अपने पिता की राजनीति के ब्रांड को बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। वर्तमान में किशोर देव भारतीय राष्ट्र कांग्रेस पार्टी के आदिवासी मामलों के सेल, आदिवासी कांग्रेस, के पहले चेयरमैन हैं। आंध्रा प्रदेश में अनुसूचित जनजाति समुदाय (कोंडा डोरा अनुसूचित जनजाति) के सदस्य तौर पर उन्होंने पार्वतीपुरम -और निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के पश्चात, अरकू लोक सभा कोंस्टीटूएंसी १९७७ से पांच बार प्रतिनिधित्व किया। दिवंगत पी वी नरसिम्हा राव के प्रधान मंत्री काल में राज्य सभा में एक कार्यकाल पूरा किया था।
श्रुति देवी कोंडा डोरा अनुसूचित जनजाति की प्रामाणिक सदस्य हैं।
मद्रास में जन्मी श्रुति देवी की शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में हुई। उन्होंने फ्रांसिसकन मिशनरीस ऑफ़ मैरी (एफएमएम ) के स्कूल माटर देइ कान्वेंट में पढ़ाई की। श्रुति ने दिल्ली के विश्व विद्यालय सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य तथा लॉ फैकल्टी के कैंपस लॉ सेंटर से एल एल बी की डिग्री हासिल की। उन्होंने डब्लू डब्लू ऍफ़ इंडिया सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल लॉ से पर्यायवरण क़ानून में पोस्ट-ग्रेड्जूऐट डिप्लोमा भी किया है।
उन्होंने पिछले दो दशकों से अपने पार्टी तथा वकालत रहे विभिन्न वकीलों तथा व्यक्तियों के साथ समन्वय के जरिए जन नीतियों से सम्बंधित अनेकों मुकदमों में, ज़्यादातर सर्वोच्च न्यायलय के स्तर के, कानूनी सलाह भी दी है तथा अपनी विशेषज्ञता, प्रयासों तथा प्रतिबद्धता से कई बार न्यायालय से ऐतिहासिक विजय प्राप्त करने वाले टीम्स को राह दिखाई है।
वह सत्य, ईमानदारी, समानता, स्वतंत्राता जैसे मूल्यों को महत्व देती है तथा दुनिया भर में भारतीय संविधान की मूल आत्मा की फैरवी करती है। वह दुनिया भर के आस्थाओं, धर्मों और संस्कृतियों के सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं का सम्मान करने में यक़ीन करतीं हैं, साथ ही तथा कथित परंपरा के सभी आयामों को, जो मानवाधिकार तथा सम्मान में दखल देते हैं या फिर उस्में कटौती करते हैं, सक्रिय बहस-मुहाबसे से क़ानून के जरिए खारिज करने का प्रयास करती है। यह अक्सर सामाजिक आईने से देखा जाता है, जिस्के मुख्य बिंदु लौकिक न्याय, बाल अधिकार, विकलांगता क्षेत्र, अल्पसंख्यक जनसँख्या के अधिकारों तथा भारत में चल रही जातिम प्रथा है।
वह सामाजिक न्याय के दृश्टिकोण से अनेक मुद्दों को देखती है।
श्रुति के प्रयासों ने हमेशा ही अद्वितीय परिणाम दिए हैं तथा अभी भी दे रहे हैं।
श्रुति की सांस्कृति जड़े बहुआयामी है और उन्के विचारों तथा लेखन से वर्तमान पीढ़ी न सिर्फ इस पृथ्वी के पर्यायवरण लिए बल्कि शासन से लेकर कला और बहुत से क्षेत्रों में आगे के रास्ते के लिए प्रेरणा पा सक्ती है।
भारत में कांग्रेस पार्टी अपनी शुरुआत से ही एक अंतर्राष्ट्रीय पार्टी रही है। नए पार्टी अध्यक्ष के चुनाव से पहले देश, तथा पार्टी की खुद की विकास और परिवर्तन के लिए पार्टी में विचार-धारा पर विचार विमर्श, वैश्विक सहमति तथा वर्तमान परिस्थितियों पर अपडेट, और पार्टी के कामों के प्रभाव तथा पहुँच एनालाइज किया जाता है।
१९९८ में श्रुति ने वैश्विक विकास के मुद्दों पर आयोजित एक परिचर्चा में भाग लिया, जहाँ उन्होंने दुनिया के हाशिए पर खड़े समुदायों के दृष्टिकोण को सबके सामने रखा। इस चर्चा तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और वर्तमान पार्टी अध्यक्ष, सुश्री सोनिया गांधी, जो १९९८ कांग्रेस अध्यक्ष चुनी गई थीं, और तब से ही इस पद को पूरी योग्यता के साथ जीतती और निभाती आ रही है।
१९९८ से ही श्रुति ने कांग्रेस प्रेज़िडेंट के साथ रूप से निकटता के साथ कार्य किया है। वह कई अवसरों पर उपस्थित रही हैं, जिस्में राजनैतिक कार्यों से सम्बंधित एक संक्षिप्त किन्तु ऐतिहासिक औपचारिक वार्ता शामिल है।
श्रुति अंग्रेजी, हिंदी, तेलुगु और ओड़िया भाषाएँ जानती हैं, और उन्होने स्कूल में संस्कृत पढ़ी थीं।
वे सर्वोच्च न्यायालय अधिवक्ता, लेखक-कवी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की सदस्य १९९८ से, और आंध्र प्रदेश कांग्रेस समिति की इलेक्टेड मेंबर २०१७ से हैं।
[२०२० अपडेट:
श्रुति देवी जी २०१९ में कांग्रेस पार्टी की लोक सभा उम्मीदवार आंध्र प्रदेश की अरकू नियोजक वर्ग से थी.
उन्होंने दृढ संकल्प और साहस के साथ पार्टी की लढाई लढी, चाहे उन्हे अपने पिताजी के खिलाफ भी उम्मीदवार बनना पड़ा, क्योंकि किशोरजी तेलुगु देसम पार्टी लास्ट मिनट में ज्वाइन कर लिये.
इस वक्त पार्टी के अनुरोध पे श्रुतिजी एक स्टेट वाईस प्रेजिडेंट हैं.
वी श्रुति देवी की लेटेस्ट किताब, अड़ ालटीऑरा नीतिमूर, २०२० लोखड़ौन के पहले पब्लिश हुआ था, अमेरिका में पब्लिक लाइब्रेरी एसोसिएशन के एनुअल इवेंट में प्रदर्शित हुआ था, और अगस्त २०२० में बीजिंग इंटरनेशनल बुक फेयर, चीन, में शामिल होगा]
[Update inserted on 12th July, 2020: The Beijing International Book Fair stands cancelled. The book is now scheduled to be at the Frankfurt International Book Fair in October, 2020].
सुशासन (अर्थात पारदर्शिता, कार्यसाधकता, अर्थपूर्ण सलाह देना, भ्रष्टाचार और कुप्रथाओं को दूऱ करना, एकाधिक संस्थाओं को पुनर्निर्माण करना, बराबरी के सिद्धांत के लिए काम करना - विशेषतः लौकिक इन्साफ की तरफ - शासन की सभी प्रक्रियाओं में उसका क्रियान्वयन) के जरिए विश्व शान्ति तथा न्याय, बराबरी और स्वतंत्रता तथा समाज के, जिसकी भारतीय संविधान में कल्पना की गयी है, लक्ष्यों की तरफ काम करना उनकी मुख्य कोशिश और प्राथमिकता है।
वह वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण तथा स्थाई विकास के सन्दर्भ में सामूहिक, किन्तु व्यक्तिगत (तथा राष्ट्रीय)
जिम्मेदारियों को आदर्श का समर्थन करती है।
श्रुति पारिवारिक पृष्ठभूमि के अनुसार एक सांस्कृतिक शख्सियत है, जहाँ उनके परिवार के सदस्य ऐसे आदिवासी मुखिया रहे जिन्होने सतत रूप से रूप से लोगों के लिए जनवादी आदर्शों (तृणमूल स्तर समेत) को प्राप्त करने तथा उन्हें बनाए रखने लिए काम किया।
औपचारिक रूप से भारतीय कांग्रेस पार्टी से दिसंबर १९९८ में जुड़ीं। उससे पहले वह अविभाजित कांग्रेस पार्टी की समर्थक रहीं तथा उसके बाद कांग्रेस (सोशलिस्ट) पार्टी की वॉलन्टीयर रहीं।
उनकी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की सदस्यता १३ मई २०१७ पे अपडेट है, और वह इस वक्त आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की इलेक्टेड सदस्य हैं।
श्रुति ने दो दशक से ज़्यादा समय तक कठिन परिश्रम कर राजनीति में ऐसा ब्रांड बनाने की कोशिश की है, जिस्में एक उत्प्रेरक के रूप में उन्होंने समाज के अत्यंत ग़रीब तथा कम्ज़ोर तब्के के लिए काम किया। उसके साथ-साथ श्रुति ने भारतीय शासन के वैश्विक संदर्भों महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिस्में राष्ट्रीय स्तर के कानूनों के आलावा अंतरराष्ट्रीय संधियां तथा सम्मेलन शामिल रहा।
सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता के तौर पर श्रुति को १९९८ में सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल लॉ, नई दिल्ली, द्वारा अमेरिका में हो रहे एक ब्रीफ इंडिया विज़िटिंग एनवायर्नमेंटल लॉ फेल्लो प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया। यह कार्यक्रम सर्वोच्च न्यायालय के भारत के एडिशिनल सॉलिसिटर जनरल की अनुमति के साथ किया गया था।
श्रुति ने सितम्बर १९९७ से सितम्बर १९९८ तक वी.आर. रेड्डी, सीनियर एड्वोकेट के चैम्बर में जूनियर लॉयर के रूप में काम किया था। १९९९ की शुरूआत में प्रमुख अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट ए. ओ. आर. इंदू मल्होत्रा के चैम्बर के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के मुक़दमों में श्रुति पेश हुईं।
मई १९९९ एक स्वतंत्र अधिवक्ता के तौर पर श्रुति ने आदिवासी जनजातियों, दलित और अनुसूचित जाति, धार्मिक अल्पसंख्यकों, महिलाओं और बच्चों, विकलांगों से सम्बंधित क्षेत्र और समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों को मुद्दों पर कानून तथा नीति-निर्माण के क्षेत्रों में फोकस करना शुरू किया।
यह कार्य अक्सर राजनैतिक पार्टियों, नागरिक समुदाय समूहों, सामाजिक संगठनों, सांस्कृतिक समूहों वैज्ञानिकों, अकादमिकों, विशेषज्ञों, थिंक टैंक, सरकार के प्रतिनिधि, समुदाय आधारित संगठनों तथा अन्य के साथ अनौपचारिक तथा स्वैच्छिक समन्वय या पैरवी के जरिए हुआ है।
उनका राजनैतिक कान कुछ दशकों का है, जिस्में राजनैतिक अभियान, गठबंधन, सचेतनता, राजनैतिक रणनीति के लिए इनपुट और इनिशिएटिव, अनुसंधान, डेली घटनाओं तथा विवादों से सम्बंधित राय तथा सलाह, सांस्कृतिक गतिविधियां, पार्टी के लोगों तथा अन्य सामाजिक संगठनों और शिष्ट मंडलों की शिकायतों का निवारण, विभिन्न शैक्षणिक तथा संस्थानों पर गेस्ट लेक्चर देना शामिल है।
गांव से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक की यह गतिविधियां हमेशा स्वैच्छिक स्तर पर रहीं और सालों तक अत्यंत प्रभावकारी रहीं।
उनके कुछ उनके कुछ प्रमुख इनपुट और इनिशिएटिव निम्नलिखित श्रेणी के कार्यों में रहे हैं:
- सदी के मोड़ पर उन्होंने भारतोय कांग्रेस पार्टी के पुनर्निर्माण में भूमिका निभाई (केंद्रीय औपचारिक रणनीतिक स्तर पर कागज़ी कार्यवाई, देश क्षेत्रों में महत्वपूर्ण नेटवर्किंग गतिविधियों में;
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जारी ईंटरनेशनल कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी की राष्ट्र स्तरीय तकनीक तथा नीति कोर समूह (टीपीसीजी) जैवविविधता क्षेत्र में विशेषज्ञ परामर्ष;
-पार्टी के असंख्य कानूनी तथा नीतिगत सलाहें देना तथा दो दशकों से भी ज़्यादा समय तक उससे जुड़ी सक्रियता। इन दशकों में प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के यूपीए सरकार के दस साल का कार्यकाल भी शामिल है।
- लौकिक समानता के नज़रिये से क्रास-कटिंग क्षेत्रों पर सक्रियता तथा सलाह;
-जहाँ ज़रूरी हो, फॉलो-अप समेत, उभरती परिस्थितियों और विवाद की घटनाओं पर रोजमर्रा का विश्लेषण और उच्चित उत्तर;
- आदिवासी अधिकार, स्थानीय स्वशासन तथा वनाधिकार अधिनियम सूत्रीकरण के सम्बन्ध में अनोखी तथा सर्वोत्तम राजनीतिक तथा कानूनी सलाह;
- संसदीय बहसों तथा मीडिया विश्लेषण के दैनिक ट्रैकिंग, विश्लेषण और फॉलो-अप एक्शन;
- सोशल मीडिया से सम्बंधित कार्य;
- विभिन्न मंचों उपयोग करते हुए दृढ फील्ड स्तरीय आउटरीच तथा नेटवर्किंग;
- राज्य सरकारों और उन्की नीतियों के गठन में जहाँ ज़रुरत हो, वहां रणनीति बनाना और समन्वय करना,
खासकर कांग्रेस नेतृत्व वाले राज्यों में। उदाहरण के तौर पर ऐसे मामलों में जैसे कि कांग्रेस पार्टी के समर्थन के साथ प्रारम्भिक ४९-दिवसीय सरकार के महत्त्वपूर्ण गठन के लिए आम आदमी पार्टी की शर्तों का जवाब देना, जिससे कि दिल्ली के लिए एक धर्मनिर्पेक्श सरकार सुनिश्चित की जा सके।
श्रुति के अपने में लिए गए निर्णय में परोपकारिता तथा निर्भीकता लिए प्रमुख स्थान रखते हैं। कई मोर्चों पर किए गए उन्के बलिदान बड़े पैमाने पर समाज, मीडिया या किसी की नज़रों में नहीं आए।
उनका काम हमेशा समयबद्ध तथा प्रभावकारी हस्तक्षेप के रूप में हुआ है, फिर चाहे उन्के किए प्रयासों के प्रोत्साहन में किसी भी तरह की कोई औपचारिक सांगठनिक प्रतिक्रिया आई हो या नहीं। हालांकि उन्के प्रयासों को पार्टी ने हमेशा सकारात्मक तौर पर लिया है।
२०१० में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सक्रिय सदस्य के औपचारिक पद पर पहुंची।
उसी साल श्रुति ने नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हो रहे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में भाग लिया।
२०१४ में यूपीए सरकार की हार के तुरंत बाद उन्होंने अपने पैतृक घर, जोकि दक्षिण भारत के राज्य आंध्रा प्रदेश के एक ग्रामीण इलाके में, कुरूपम में 'द फोर्ट ' में है, अपना दफ्तर शिफ्ट किया।
आज की तारिख में श्रुति के पोर्टफोलियो में बीस साल का कानूनी अनुभव, और उच्चत्तम न्यायलय के बार एसोसिएशन की सदस्यता है।
श्रुति अक्सर दिल्ली तथा भारत में अन्य स्थानों पर राजनैतिक और कानूनी काम के लिए अपने राज्य से बाहर यात्रा करती है और साथ में सोशल मीडिया (यानि कि इंटरनेट मीडिया) पर भी सक्रिय है।
श्रुति का अपना परिवार तथा विस्तारित परिवार, राजनैतिक रूप से बहुत सक्रिय हैं, और उन्के नानाजी और दादाजी दोनों ही क्रमशः सांसद तथा विधायक थे।
भारत की स्वतंत्रता के पूर्व उन्की माँ की तरफ के पूर्वज दासपल्ला, जोकि अब ओडिशा में है, के राजा थे। हालांकि वह राज करने वाले उन चंद परिवारों में से थे, जो स्वतंत्रता के समय कांग्रेस पार्टी से जुड़े।
श्रुति के दादा, जमींदार - राजा वी, दुर्गाप्रसाद देव मद्रास प्रांत के राज्य विधान सभा के सदस्य थे, जो उस काल का उन क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए एक प्रासंगिक निकास था - यह क्षेत्र अब उत्तरी आंध्रा प्रदेश है। उन्की मृत्यु उसी समय हुई, जब उन्हें राज्य मंत्री पद की शपत लेनी थी।
कुरूपम के ज़मींदार आदिवासी मुखिया थे, और श्रुति की राजनीति में आदिवासी समुदायों के स्थाई विकास के परिसीमा में समानता के लिए संघर्ष प्रतिलिक्षित होता है, खासकर महिलाओं के लिए।
श्रुति के पिता, वी किशोर चंद्र सूर्यनारायणा देव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में जनरल सेक्रेटरी और सी डब्लू की (कांग्रेस वर्किंग कमेटी) मेंबर रहे हैं, तथा कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली यू पी ए - २ सरकार में दो पोर्टफोलियो के साथ केंद्रीय कैबिनेट मंत्री थे।
श्रुति ने १९९० से अपने पिता की राजनीति के ब्रांड को बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। वर्तमान में किशोर देव भारतीय राष्ट्र कांग्रेस पार्टी के आदिवासी मामलों के सेल, आदिवासी कांग्रेस, के पहले चेयरमैन हैं। आंध्रा प्रदेश में अनुसूचित जनजाति समुदाय (कोंडा डोरा अनुसूचित जनजाति) के सदस्य तौर पर उन्होंने पार्वतीपुरम -और निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के पश्चात, अरकू लोक सभा कोंस्टीटूएंसी १९७७ से पांच बार प्रतिनिधित्व किया। दिवंगत पी वी नरसिम्हा राव के प्रधान मंत्री काल में राज्य सभा में एक कार्यकाल पूरा किया था।
श्रुति देवी कोंडा डोरा अनुसूचित जनजाति की प्रामाणिक सदस्य हैं।
मद्रास में जन्मी श्रुति देवी की शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में हुई। उन्होंने फ्रांसिसकन मिशनरीस ऑफ़ मैरी (एफएमएम ) के स्कूल माटर देइ कान्वेंट में पढ़ाई की। श्रुति ने दिल्ली के विश्व विद्यालय सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य तथा लॉ फैकल्टी के कैंपस लॉ सेंटर से एल एल बी की डिग्री हासिल की। उन्होंने डब्लू डब्लू ऍफ़ इंडिया सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल लॉ से पर्यायवरण क़ानून में पोस्ट-ग्रेड्जूऐट डिप्लोमा भी किया है।
उन्होंने पिछले दो दशकों से अपने पार्टी तथा वकालत रहे विभिन्न वकीलों तथा व्यक्तियों के साथ समन्वय के जरिए जन नीतियों से सम्बंधित अनेकों मुकदमों में, ज़्यादातर सर्वोच्च न्यायलय के स्तर के, कानूनी सलाह भी दी है तथा अपनी विशेषज्ञता, प्रयासों तथा प्रतिबद्धता से कई बार न्यायालय से ऐतिहासिक विजय प्राप्त करने वाले टीम्स को राह दिखाई है।
वह सत्य, ईमानदारी, समानता, स्वतंत्राता जैसे मूल्यों को महत्व देती है तथा दुनिया भर में भारतीय संविधान की मूल आत्मा की फैरवी करती है। वह दुनिया भर के आस्थाओं, धर्मों और संस्कृतियों के सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं का सम्मान करने में यक़ीन करतीं हैं, साथ ही तथा कथित परंपरा के सभी आयामों को, जो मानवाधिकार तथा सम्मान में दखल देते हैं या फिर उस्में कटौती करते हैं, सक्रिय बहस-मुहाबसे से क़ानून के जरिए खारिज करने का प्रयास करती है। यह अक्सर सामाजिक आईने से देखा जाता है, जिस्के मुख्य बिंदु लौकिक न्याय, बाल अधिकार, विकलांगता क्षेत्र, अल्पसंख्यक जनसँख्या के अधिकारों तथा भारत में चल रही जातिम प्रथा है।
वह सामाजिक न्याय के दृश्टिकोण से अनेक मुद्दों को देखती है।
श्रुति के प्रयासों ने हमेशा ही अद्वितीय परिणाम दिए हैं तथा अभी भी दे रहे हैं।
श्रुति की सांस्कृति जड़े बहुआयामी है और उन्के विचारों तथा लेखन से वर्तमान पीढ़ी न सिर्फ इस पृथ्वी के पर्यायवरण लिए बल्कि शासन से लेकर कला और बहुत से क्षेत्रों में आगे के रास्ते के लिए प्रेरणा पा सक्ती है।
भारत में कांग्रेस पार्टी अपनी शुरुआत से ही एक अंतर्राष्ट्रीय पार्टी रही है। नए पार्टी अध्यक्ष के चुनाव से पहले देश, तथा पार्टी की खुद की विकास और परिवर्तन के लिए पार्टी में विचार-धारा पर विचार विमर्श, वैश्विक सहमति तथा वर्तमान परिस्थितियों पर अपडेट, और पार्टी के कामों के प्रभाव तथा पहुँच एनालाइज किया जाता है।
१९९८ में श्रुति ने वैश्विक विकास के मुद्दों पर आयोजित एक परिचर्चा में भाग लिया, जहाँ उन्होंने दुनिया के हाशिए पर खड़े समुदायों के दृष्टिकोण को सबके सामने रखा। इस चर्चा तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और वर्तमान पार्टी अध्यक्ष, सुश्री सोनिया गांधी, जो १९९८ कांग्रेस अध्यक्ष चुनी गई थीं, और तब से ही इस पद को पूरी योग्यता के साथ जीतती और निभाती आ रही है।
१९९८ से ही श्रुति ने कांग्रेस प्रेज़िडेंट के साथ रूप से निकटता के साथ कार्य किया है। वह कई अवसरों पर उपस्थित रही हैं, जिस्में राजनैतिक कार्यों से सम्बंधित एक संक्षिप्त किन्तु ऐतिहासिक औपचारिक वार्ता शामिल है।
श्रुति अंग्रेजी, हिंदी, तेलुगु और ओड़िया भाषाएँ जानती हैं, और उन्होने स्कूल में संस्कृत पढ़ी थीं।
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